देवनागरी लिपि का मानकीकरण

 देवनागरी लिपि का मानकीकरण 

                                            डॉ. साधना गुप्ता

अर्थ -  किसी भी लिपि के विभिन्न स्तरों पर पाई जाने वाली  विषम रुपता को दूर कर उसमें एकरूपता लाना ही मानकीकरण कहलाता है। 

लिपि का मानकीकरण करने के लिए कुछ तथ्य महत्वपूर्ण होते हैं -

 1. एक ध्वनि को अंकित करने के लिए विविध लिपि चिह्नों  में से एक को मान्यता दी जाती है। यथा  - देवनागरी लिपि में 

अ,  झ,  ल, ध, भ, ण मान्य है।

2 के उच्चारण में भी एकरुपता होनी आवश्यक है। क्षेत्रीय उच्चारण के कारण लोग अलग-अलग ढंग से एक ही ध्वनि का उच्चारण करते हैं। जैसे -  

पैसा , पइसा, पाइसा।

 इनमें से पहला उच्चारण पैसा  ही मानक उच्चारण है।

3. वर्तनी की एकरूपता भी भाषा की शुद्धता के लिए परम आवश्यक है । देवनागरी लिपि में  ई , यी , तथा ये, , के प्रयोग कहाँ करने चाहिए और कहाँ नहीं, इस संबंध में भारत सरकार ने के शिक्षा मंत्रालय की' वर्तनी समिति' ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर मानकीकरण  की दिशा में उल्लेखनीय उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसके अनुसार - 

1.संज्ञा शब्दों के अंत में 'ई' का प्रयोग होना चाहिए यी का नहीं। यथा -

       मिठाई 

       भलाई,

        बुराई ,

       लड़ाई ,

       पढ़ाई, 

       खुदाई, 

2.जिन क्रियाओं के भूतकालीन पुल्लिंग एकवचन रूप केअंत में 'या' आता है उसके बहुवचन रूप में 'ये' और स्त्रीलिंग रूप में 'यी ' का प्रयोग उचित है। यथा - 

आया - आयी, आये

गया - गयी , गये

3. जिन क्रियाओं के भूतकालिक पुल्लिंग एकवचन के अंत में  'आ' आता है उनके बहुवचन रूप में 'ए'  और स्त्रीलिंग रूपों में 'ई' का प्रयोग उचित है । यथा -

 हुआ - हुई ,  हुए 

शुद्ध प्रयोग हैं।

4.  विविध क्रिया और अवयव में 'ए'  का प्रयोग ही उचित है ।यथा -

चाहिए, 

दीजिए, 

लीजिए ,

कीजिए, 

पीजिए,

 इसलिए ,

के लिए 

5.वर्गों के पंचमाक्षर के बाद यदि उसी वर्ग का कोई वर्ण हो तो वहां अनुस्वार का प्रयोग भी करना चाहिए । यथा - 

      वंदना 

      हिंदी

     नंदन  

     चंदन

     अंत

     गंगा 

6. अंग्रेजी के जिन शब्दों में  'ओ'  ध्वनि का प्रयोग  होता है, उनके लिए हिंदी की देवनागरी लिपि में अर्धचन्द्र का प्रयोग करना चाहिए। यथा - 

College -  कॉलेज

Office    - ऑफिस

Doctor    - डॉक्टर

7 संस्कृत के जो शब्द विसर्ग युक्त हैं , यदि वे तत्सम रूप में हिंदी में लिखे गए हों तो विसर्ग सहित लिखे जाने चाहिए किंतु यदि तद्भव रूप में प्रयुक्त हो  तो बिना विसर्ग के भी काम चल सकता है। यथा -

 दुःख। -  तत्सम रूप में ,

 दुख     - तद्भव रूप में 

दोनों का ही प्रयोग ठीक है।

 8. भैया 

    गवैया

     रुपैया  

रूप में ही लिखा जाना चाहिए। 

8. हिंदी के संख्यावाचक शब्दों की वर्तनी का मानकीकरण हिंदी निदेशालय, दिल्ली के प्रमुख विद्वानों ने किया है। इनमें से शुद्ध लिखे जाने वाले कुछ शब्द -

छः , छह

ग्यारह

पन्द्रह

सत्रह

अट्ठारह

उन्नीस

 इक्कीस

बाईस

तेईस

9.कुछ क्रिया रूपों में भी मानकीकरण किया गया है -

 अशुद्ध                      शुद्ध

  करा                       किया

  होएंगे                     होंगे

  होयगा                    होगा

 10. नासिक्य व्यंजन जहां स्वतन्त्र रूप से संयुक्त हुए हों, वहां वे अपने मूल रूप में ही लिखे जाने चाहिए, अनुस्वार के रूप में नहीं - 

अन्न

गन्ना

उन्मुख

सम्मति

सन्मति    

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