मानक हिंदी का भाषा वैज्ञानिक विवरण( रूपगत )

 मानक हिंदी का भाषा वैज्ञानिक विवरण  ( रूपगत )

                              डॉ. साधना गुप्ता

हिंदी भाषा का मानक रूप उसे व्याकरण के नियमों में बांध कर जो रूप देता है वह इस प्रकार है- 

 रूप रचना -  हिंदी में शब्द रचना के चार प्रकार हैं-  संधि , समास, उपसर्ग और प्रत्यय।

 संधि -  संधि द्वारा  स्वर से स्वर , स्वर से व्यन्जन, व्यंजन से स्वर या विसर्ग से  सन्धि होकर  नया शब्द निर्मित होता है , जैसे - वाक्+ईश  = वागीश

समास  -    रसोई के लिए घर  +  रसोईघर

उपसर्ग  -   प्र+हार   =  प्रहार 

प्रत्यय   -  सांप   +  एरा  =   सपेरा

लिंग -   हिंदी में केवल दो लिंग हैं - स्त्रीलिंग एवं  पुल्लिंग।   संस्कृत में नपुंसकलिंग भी था। संस्कृत के नपुंसकलिंग शब्द हिंदी में  पुल्लिंग या स्त्रीलिंग मान लिए गए हैं और प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग को स्त्रीलिंग बनाया जाता है । जैसे नर से नारी

वचन -  हिंदी में केवल दो वचन है- एकवचन और बहुवचन। संस्कृत का द्विवचन हिंदी में बहुवचन के अंतर्गत समाविष्ट हो गया है। हिंदी में प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाए जाते हैं। जैसे - बहन से बहनें।

 कारक-  संस्कृत में विभक्तियाँ   थी। शब्द के 24 रूप 8  विभक्तियों एवं तीन वचनों में बनते थे, किंतु हिंदी में कारक चिह्न का विकास हुआ और शब्द के केवल दो रूप रह गए- मूल एवं विकारी ।इन्हीं के साथ कारक चिह्नों  को जोड़कर  वाक्य रचना की जाती है।  ये चिह्न निम्न हैं-

कर्ता -  ने

कर्म  -  को

करण -  से, के द्वारा

सम्प्रदान -  को, के लिए

अपादान - से

सम्बन्ध-  का, के, की, ना, ने, नी

अधिकरण - में, पर

सम्बोधन - है, ओ, अरे।

हिंदी में संबंध तत्व द्वारा प्रमुखतः काल , लिंग, वचन , पुरुष तथा कारक की अभिव्यक्ति होती है। संबंध तत्व हिंदी की प्रमुख विशेषता मानी गई है। सम्बन्ध तत्व के कारण हिंदी वियोगात्मक भाषा हो गयी है।  स्मरणीय तथ्य है संस्कृत संयोगात्मक भाषा है जिसमे विभक्ति चिह्न जुड़े होते हैं।

 काल -  हिंदी में मूलतः काल तीन हैं - वर्तमान काल,  भूतकाल एवं भविष्य काल ।इन्हें पुनः कुछ वर्गों में विभाजित किया  गया है ।

वर्तमान काल -  इसके चार भाग हैं,- 

 सामान्य वर्तमान -  वह आता है। 

 तात्कालिक वर्तमान -  वह आ रहा है।

 पूर्ण वर्तमान -  वह आता होगा ।

संभाव्य वर्तमान -  शायद वह आया हो।

 भूतकाल  -  इसके छः भेद हैं-

सामान्य भूतकाल -   मैं गया।

 आसन्न भूतकाल -  मैं गया हूँ।

 पूर्ण भूतकाल  -   मैं गया था। 

अपूर्ण भूतकाल  -  मैं जा रहा था।

 संदिग्ध भूतकाल  -   मैं गया हूँगा।

 हेतु हेतुमद् भूतकाल यदि तुम आते, तो मैं 

जाता। 

भविष्य काल  - इसके तीन भेद हैं-

सामान्य भविष्य काल  - वह आयेगा।

 संभाव्य भविष्य काल  - शायद वह आयेगा। 

हेतु हेतुमद् भविष्य काल  - वह जाये तो मैं आऊं। 

 पुरुष  - संस्कृत  के समान हिंदी में भी तीन पुरुष हैं-

उत्तम पुरुष , मध्यम पुरुष, अन्य पुरुष। इनके सर्वनाम रूप  इस प्रकार हैं- 

 उत्तम पुरुष  -

 अविकारी रूप - एकवचन -  मैं

                        बहुवचन -  हम

 विकारी रूप  -    एकवचन - मुझे, मुझको, मेरा, 

मेरी 

                         बहुवचन  - हमें, हमको ,हमारा, 

हमारी

मध्यम पुरूष -

अविकारी रूप - एकवचन -  तू

                        बहुवचन -  तुम

 विकारी रूप  -    एकवचन -  तुझे, तुझको, 

तेरा,तेरी

                         बहुवचन  - तुम्हें, तुमको, 

तुम्हारा, तुम्हारी

अन्य पुरुष  - 

अविकारी रूप - एकवचन -  वह

                        बहुवचन -  वे

 विकारी रूप  -    एकवचन -  उस, उसे, उसको 

                         बहुवचन  - उन, उन्हें, उनको, 

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