हिंदी की बोलियां, वर्गीकरण एवं क्षेत्र
हिंदी की बोलियां, वर्गीकरण एवं क्षेत्र
डॉ. साधना गुप्ता
हिंदी भारत के बहुसंख्यक लोगों की भाषा है और उत्तर भारत के दस राज्यों में बोली जाती है जिनके नाम हिमाचल प्रदेश, हरियाणा ,दिल्ली, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड है। इन दस राज्यों को हिंदी क्षेत्र कहते हैं। इस विस्तृत भू-भाग में हिंदी के अनेक क्षेत्रीय रूपांतरण प्रचलित है। हिंदी के अंतर्गत आने वाली उप भाषाओं एवं बोलियों का विवरण इस प्रकार है-
1 . पश्चिमी हिंदी - खड़ी बोली (कौरवी), ब्रजभाषा, बुंदेली, हरियाणवी (बागरू), कन्नौजी ।
2 . पूर्वी हिंदी - अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी ।
3 . राजस्थानी - मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, मालवी।
4 . पहाड़ी - गढ़वाली, कुमाऊनी, नेपाली।
5 . बिहारी - मैथिली, मगही, भोजपुरी।
इस प्रकार हिंदी क्षेत्र में पांच उपभाषाएं और 18 बोलियां सम्मिलित हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-
खड़ी बोली- खड़ी बोली का क्षेत्र देहरादून, सहारनपुर ,मुजफ्फरनगर ,मेरठ ,बिजनौर, रामपुर तथा मुरादाबाद है। इसका एक अन्य नाम भी है वह है कौरवी।
ब्रज भाषा - आगरा, मथुरा ,अलीगढ़, मैनपुरी, एटा, हाथरस, बदायूं, बरेली ,धौलपुर इसके क्षेत्र हैं।
हरियाणवी - हरियाणा प्रदेश तथा दिल्ली का देहाती क्षेत्र इस बोली का क्षेत्र है। इसका एक अन्य नाम बागरु भी है।
बुंदेली - यह बुंदेलखंड की बोली है। झांसी, जालौन, हमीरपुर, ओरछा, सागर, नृसिंहपुर ,सिवनी, होशंगाबाद जिले इसके क्षेत्र माने गए हैं।
कन्नौजी- इटावा, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, हरदोई ,पीलीभीत जिले इसके क्षेत्र हैं।
अवधी - कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, फतेहपुर ,फैजाबाद, गोण्डा, प्रतापगढ़ सुल्तानपुर जिले इसके क्षेत्र हैं।
बघेली - इसका केंद्र रीवा राज्य है ।इसके अतिरिक्त शहडोल, सतना, मैहर ,नागौर क्षेत्र में भी यह बोली जाती है।
छत्तीसगढ़ी - बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर, रायगढ़, नंद गांव, कांकेर, सरगुजा ,कोरबा में यह बोली जाती है।
मारवाड़ी - जोधपुर ,अजमेर, किशनगढ़, मेवाड़ जैसलमेर ,बीकानेर में बोली जाती है ।
मेवाती - इसे उत्तरी राजस्थानी के नाम से भी पुकारा जाता है यह बोली राजस्थान के मेवात क्षेत्र में बोली जाती है।
जयपुरी - यह बोली जयपुर ,अजमेर की बोली है। इस बोली का एक नाम दूंढाणी भी है ।
मालवी - यह मालवा क्षेत्र की बोली है तथा इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, भोपाल में बोली जाती है।
पश्चिमी पहाड़ी - नेपाली भी कही जाती है। यह बोली हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, चंबा ,जौनसार, सिरमौर क्षेत्र में बोली जाती है।
गढ़वाली - गढ़वाल क्षेत्र की यह बोली उत्तरकाशी, बदरीनाथ, श्रीनगर,(गढ़वाल) क्षेत्र में बोली जाती है।
कुमायूंनी - उत्तरांचल का कुमायूं क्षेत्र इस बोली का क्षेत्र है। नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत में भी यह बोली जाती है।
भोजपुरी - यह बोली वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर,,बलिया, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती, शाहबाद, चंपारण और सारण में बोली जाती है।
मगही - इस बोली का क्षेत्र पटना,गया, पलामू, हजारीबाग, मुंगेर, भागलपुर और सारंग है।
मैथिली - बिहारी हिंदी के अंतर्गत आने वाली इस बोली का क्षेत्र दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और मुंगेर है।
वैज्ञानिक दृष्टि से सर जार्ज ग्रियर्सन ने मात्र पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी को ही हिंदी की अंतर्गत स्थान दिया है। इस दृष्टि से हिंदी आठ बोलियों का समूह है - खड़ी बोली (कौरवी), ब्रजभाषा , बुंदेली, हरियाणवी( बागरू) , कन्नौजी , अवधी, बघेल और छत्तीसगढ़ी ।
मानक या परिनिष्ठित रूप से हिंदी का मूल आधार खड़ी बोली हिंदी है।
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